यह सिर्फ जनता के लिए नहीं वरन जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए भी है
एक तरफ जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन ने मिलकर कोरॉना काल में भ्रष्टाचार कर चर्बी बढ़ा ली... फिर अब चर्बी के चक्कर में कोई भी काम नहीं... शासन प्रशासन ने पूरी जवाबदारी और जिम्मेदारी जनता पर छोड़ दी,जैसे कि जनता जागरूक है,और जिम्मेदारी निभा लेगी मगर जनता अगर जागरूक होती तो जिले में शिक्षा के स्तर का प्रतिशत कम नहीं होता।
आम आदमी बिना मास्क के नगर या शहर में घूम रहा है तो वह भी जिला प्रशासन की नाकामी और गलतियों की वजह से घूम रहा है। सरकार ने मास्क के लिए और अन्य सुविधाओं के लिए जिला व पंचायत स्तर पर भी हजारों रुपए प्रत्येक पंचायत को दिए । उसमें भी भ्रष्टाचार कर प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने कढ़ाई में चम्मच हिला दी
इतनी नाकामयाब के बाद जिले के बड़े साहब... गुलाबी बिल्डिंग मुखिया फाइलों के कागजों को व्यवस्थित कर माया के रास्ते की रुकावट को दूर करने में व्यस्त हैं... और कोरोना काल के सप्लायर... सांसद के समक्ष बैठकर अनुविभागीय अधिकारी को मान मनवार कर माया की मोहब्बत का हिस्सा बना रहे हैं।
जिले में कोरोना पॉजिटिव की संख्या में बढ़ोतरी जिला प्रशासन की नाकामी का नतीजा है
हालांकि अगर प्रशासन जिले में हर शहर की सीमा पर पाबंदी लगाकर जांच दल बैठा दे तो आवागमन से जिले में आई कोरोना बीमारी अपने पैर नही पसारती।
और हर कोई बेवजह बाजारों में घूमता फिरता दिखाई नहीं देता।
बहरहाल जनता तो बेलगाम ही है और सदैव बेलगाम ही रहेगी , मगर प्रशासन और जनप्रतिनिधि व्यवस्था की ढीली लगाम लिए क्यों सुस्ता रहे हैं।
क्यों सरकार और विपक्ष के नेता जनता की सुरक्षा से समझौता कर रहे हैं।
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